प्रदेश

वेयर हाउस कारपोरेशन का कारनामा ; अपग्रेड कर घुन लगे गेहुं का खपाने की कवायद

आनंद ताम्रकार
बालाघाट
जिले के अनेक गोदामों में भंडारित एवं खुले आसमान के नीचे बने ओपन केप में हजारों क्विंटल गेहूं में घुन लग जाने से वह खाने के योग्य नहीं रह गया। ऐसे हालात गोदाम मालिक वेयर हाउस कारपोरेशन के कर्मचारी की लापरवाही के चलते हुये है जहां गेहुं की रखरखाव और उसकी सुरक्षा के निर्धारित उपाये नही किये गये। नतीजतन गेहूं मौसम की मार और कीट प्रकोप के चलते पाउडर में तब्दील हो गया है।
                               जिले के वारासिवनी के 3 गोदामों में लगभग 8 करोड़ रूपयों का गेहूं भंडारित किया गया था जिनके निरीक्षण के दौरान जिला खाद्य अधिकारी ने भौतिक सत्यापन कर गेहूं के कीट प्रकोप के ग्रस्ति होने का प्रतिवेदन कलेक्टर महोदय को प्रस्तुत किया था।  भौतिक सत्यापन के दौरान मेंहदीवाडा खापा के कल्पतरु गोदाम में लगभग 15000 बोरा गेहुं गेहूं भंडारित किया गया था भण्डारित गेहुं में घुन लग जाने के कारण पाउडर की शक्ल में तब्दील हो गया।  अवलोकन पश्चात जिला खाद्य अधिकारी ने अग्रिम आदेश तक गेहुं के वितरण पर रोक लगा दी थी।
                            लेकिन सन 2020-21 की अवधि में भंडारित किये गये गेहुं की किसी ने भी सूद नहीं ली और 2 साल बाद गेहुं के घुन लग जाने के बाद मध्य प्रदेश स्टेट वेयरहाउसिंग लॉजिस्टिक एंड कारपोरेशन ने के क्षेत्रीय प्रबंधक ने गेहूं को अपग्रेड करने के आदेश जारी किये थे लेकिन गोदाम मालिक ने जब अपग्रेड करने से मना कर दिया तो आरएम ने 5 सदस्यीय टीम बनाकर गेहूं को अपग्रेड करने के लिये अधिकृत किया।उक्त टीम द्वारा गेहुं के बोरे में लगे घुन से पाउडर को बाहर करने की कवायद की जा रही है।
                              अपग्रेड करने वाली कमेटी में वेयर हाउस कारपोरेशन के जिला प्रबंधक आर के पटले, वारासिवनी शाख प्रबंधक नवीन बिसेन, नागरिक आपूर्ति निगम के रामकुमार नागभिरे तथा कैलाश कावड़े चर्तुथ श्रेणी कर्मचारी को रखा गया है। इस समिति में कोई तकनीकी विशेषज्ञ नहीं है। जिस गेहूं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित किये जाने पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाई थी उसी गेहूं को अपग्रेड कर पीडीएस में वितरण किये जाने के लिए कवायद की जा रही है।  अपग्रेड किया गया गेहूं खैरलांजी सेक्टर में 2 ट्रकों में लगभग 500 बोरे पहुंचाये गये जिसे उपभोक्ताओं में वितरित किया जायेगा।
                       यह उल्लेखनीय है की कीट प्रकोप से क्षतिग्रस्त गेहूं को केन्द्र शासन द्वारा निर्धारित मापदण्ड एवं भारतीय खाद्य निगम के नियमों के तहत अपग्रेड किये जाने के निर्देश है जिसमें कहा गया है की भण्डारित किये गये गेहुं की गुणवत्ता निर्धारित मापदंडों के तहत है या नही। उसके बाद ही वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं में वितरित किया जाये।
                           इसके विपरीत बालाघाट जिले सहित वारासिवनी के गोदामों में भंडारित गेहूं को विभागीय कर्मचारियों की कमेटी बनाकर जिसमें कोई तकनीकी विशेषज्ञ नहीं है घुन लगे गेहूं को अपग्रेड किया जा रहा है जिसे उपभोक्ताओं में वितरित किया जायेगा।
यह कवायद वेयर हाउस के अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत से की जा रही है। कल्पतरु गोदाम में भंडारित क्षतिग्रस्त गेहूं का मूल्य लगभग 2 करोड़ रुपये बताया गया है।

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