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निजी शिक्षण संस्थाएं सूचना के अधिकार अधिनियम में नहीं आती- चन्द्रे

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर ९ दिसंबर ;अभी तक;  वे समस्त निजी शिक्षण संस्थान अथवा अन्य अशासकीय संस्थाएं जो शासन द्वारा किसी प्रकार का अनुदान, सहायता इत्यादि प्राप्त नहीं करती तथा शासन की किसी संपत्ति, भूखंड इत्यादि का निशुल्क उपयोग नहीं करती वह सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा (6) (1) के अंतर्गत सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में नहीं आती इसलिए कोई भी आरटीआई एक्टिविस्ट अथवा अन्य व्यक्ति इस कानून के तहत उक्त प्रकार के संस्थानों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार नहीं रखता।
                                      उक्त विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए शिक्षाविद रमेशचन्द्र चंद्रे ने कहा कि इस नियम का दुरुपयोग करने के लिए अभी हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारी मंदसौर को भोपाल के किसी आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा जन शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले  निजी विद्यालयों की कैश बुक, बिल, वाउचर एवं फीस संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी मंदसौर को इस कानून से संबंधित ज्ञान नहीं होने के कारण उन्होंने जिले के समस्त बीआरसी कार्यालय को इस पत्र के परिप्रेक्ष्य में संबंधित एक्टिविस्ट को जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं जो पूर्णतः अवैधानिक होकर विधि सम्मत नहीं है।
                                         श्री चन्द्रे ने जिले के समस्त अशासकीय विद्यालयों एवं संस्थाओं को चेताते हुए कहा है कि इस प्रकार की कोई भी जानकारी बीआरसी अथवा जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर जन शिक्षक के माध्यम से उपलब्ध नहीं कराएं, जो एक्टिविस्ट द्वारा मांगी गई है।
                                         श्री चन्द्रे ने सरकार से मांग की है कि जो इस नियम को नहीं जानता ऐसे मंदसौर जिला के शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध भी विधि सम्मत कार्रवाई की जाना चाहिए जो किसी भी एक्टिविस्ट द्वारा मांगी गई अवैधानिक जानकारी के लिए निर्देश जारी करता है।
                                         श्री चन्द्रे ने यह भी कहा कि समस्त प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन को इस इस आदेश के विरुद्ध कलेक्टर महोदय को शिकायत करनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय का सहारा लेना चाहिए।

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