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दृष्टिबाधित दिव्यांगता को पीछे छोड़ लिखी सफलता की गाथा

सुधीर ताम्रकार
बालाघाट १८ मई ;अभी तक;  छत्तीसगढ़ जांजगीर चांपा जिसके मन में कुछ करने की इच्छा होती है वह कमजोरियों को अपनी ताकत बना लेता है और अपनी इच्छा शक्ति के बल पर नई ऊंचाइयों और सफलताओं को प्राप्त कर लेता है। इसके लिए अपने आप को कमजोर न समझे बल्कि अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
                             इसी तरह का ही एक जीता जागता उदाहरण जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम करनौद में देखने को मिला। पायल डडसेना बम्हनीडीह ब्लॉक के करनौद की रहने वाली हैं वह पोड़ीशंकर हाईस्कूल में पढ़ती है पूर्ण दृष्टिबाधित है और उन्होंने कक्षा दसवीं में 57 % प्राप्त कर सफलता प्राप्त की। उनके घर में खुशियों का माहौल है क्योंकि पायल एक दृष्टिबाधित होकर भी एक सामान्य विद्यार्थी की तरह कक्षा 10 वीं में 57 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। इसका श्रेय व अपने शिक्षकों और माता-पिता को देतीं है।
                                 उन्होंने बताया कि वे आगे चलकर अन्य कक्षाओं में भी इससे ज्यादा अंक हासिल करना चाहती है और शिक्षक बनना चाहती है। उन्हें शिक्षिका शशि सिंह बाला का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ वह ब्रेल लिपि सीखने और पढ़ाई में विशेष सहयोग करती हैं। इसके अलावा पाठ्यक्रम की ऑडियो रिकार्डिंग एवं वर्ग में शिक्षकों के व्याख्यान सुनकर अपनी पढ़ाई पूरी की और पड़ोस की सहेलियों से भी मदद मिल जाती थी। उन्हें शास्त्रीय संगीत में भी विशेष रूचि है और वह शास्त्रीय गायन भी करती हैं।

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