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नहीं हो रहा शासन के आदेश का पालन, अशासकीय विद्यालयों को मिली है लूट की खुली छूट

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर १९ अप्रैल ;अभी तक;  जिला मुख्य आयुक्त भारत स्काउट गाइड जिला मंदसौर अंशुल बैरागी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर मांग की है जिस प्रकार से उज्जैन में कलेक्टर द्वारा अशासकीय विद्यालयों पर दो-दो लाख का जुर्माना लगाया है ,और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की है वैसे ही कार्रवाई मंदसौर नीमच जिले में भी अपेक्षित है। क्योंकि मंदसौर जिले में भी नामी गिरामी प्राइवेट स्कूल बालकों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। किताबें कॉपियां यूनिफॉर्म जूते मुझे मोजे अन्य ड्रेस मटेरियल एवं पाठ्य सामग्री उनके द्वारा निर्धारित दुकान पर से लेने के लिए मजबूर करते हैं और दुकानदारों से लगभग 50 से 80   प्रतिशत  तक कमीशन लेते हैं। अपने बच्चों के भविष्य को देखते  हुए पालक यह सब अन्याय चुपचाप सहन कर रहे हैं । अगर वह अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो उन्हें अपने बच्चों के भविष्य पर खतरा नजर आता है, प्राइवेट स्कूल कोर्स के अलावा ढेर सारी अन्य प्रकाशकों की पुस्तक भी बालकों को लेना पड़ती है ,जिनकी कीमत बाजार में मात्र 30 या 40रू. हैं वह पालकों को 300 से 400 रू. में मजबूरन खरीदना पड़ रही है इसमें पुस्तक विक्रेता और स्कूल का कमीशन 80 से 50 प्रतिशत तक होता है ऐसी स्थिति में जब शासन ने अनेक नियम कानून बनाए हैं पर उनका पालन नहीं हो रहा है।

शासन के आदेश के अनुसार बालक को निर्धारित पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी पुस्तक खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता पर निर्धारित पुस्तकों के अलावा लगभग रू 4000 से 5000 रू. की प्राथमिक/ माध्यमिक विद्यालय में पुस्तकों का सेट दिया जा रहा है। यही स्थिति यूनिफॉर्म की भी हैं। पिछले दरवाजे से वस्त्र विक्रेता और पुस्तक विक्रेताओं ने  प्राइवेट स्कूलों से साथ गांठ कर अपनी मोनोपोली बना रखी है।

स्कूलों द्वारा निर्धारित वस्त्र विक्रेता और पुस्तक विक्रेताओं से पालकों से सामग्री खरीदना पड़ रही है ,यहां तक की जूते मोजे के लिए भी दुकान फिक्स कर रखी है । इसलिए जिस प्रकार से  मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर उनके गृह जिले उज्जैन में कलेक्टर ने कार्रवाई की और लगभग 50 नामी गिरामी स्कूलों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया हैं उसी प्रकार मंदसौर नीमच जिले में भी कार्रवाई की मांग की है ।

जिला मुख्य आयुक्त स्काउट/गाइड ने मांग की है कि संयुक्त संचालक के आदेश के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कार्यरत काकस के कारण अशासकीय स्कूल बेलगाम हो गए हैं, शासन के आदेश का इन प्रशासकीय विद्यालयों को कोई खौफ नहीं है ।

अशासकीय विद्यालय संयुक्त संचालक के आदेश का पालन नहीं कर रहे और स्काउट /गाइड ,जूनियर रेड क्रॉस के पंजीयन अंशदान की राशि भी कतिपय अशासकीय विद्यालय जमा नहीं कर रहे पर जिला शिक्षा अधिकारी भी उन पर कार्यवाही नहीं करने के लिए मजबूर है।

उन्हें भी अशासकीय विद्यालय की कॉकस ने अपने शिकंजे में कस रखा है। कलेक्टर को चाहिए की शिक्षा विभाग की बजाय दूसरे विभाग के अधिकारियों से इसकी निष्पक्ष जांच करवाई और उज्जैन की तरह भी मंदसौर नीमच ज़िले में भी कार्रवाई की जाय।

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