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ओ री चिरैया नन्ही सी चिड़िया अंगना में फिर आना रे..

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर, 20 मार्च , अभीतक  । लगता नहीं इतनी जल्दी फिर लौटेगी हमारी गौरैया…… हमारी चिरैया… बचपन में आंगन में उन्हें फुदकते हुए देखना , भोर होते ही चहचहाते हुए देखना, उनके साथ बड़े होना किस तरह जहां छोटी सी जगह मिल जाती वह अपना घोंसला बना लेती थीं ।उन्हें अच्छा लगता रहा होगा हमारे बीच रहना हमें भी अच्छा लगता था उनकी चहचहाहट सुनकर सुबह उठना गौरैया का घर में होना एक शुभ संकेत माना जाता था। अचानक अब कहां लुप्त हो गई कहां चली गई हमारी प्यारी गौरैया रूठ गई वह हमसे…… एक तो हमने ऐसे घर बनाना शुरू कर दिए हैं जहां उनके लिए सारे द्वार बंद हो गए हैं घरों में रोशनदान नहीं होते जलियां लगी है परिंदा पर न मार ले तो चिड़िया कहां से आएंगी, दूसरी ओर 4G 5G के बड़े-बड़े टावर खड़े कर दिए इनसे होने वाले रेडिएशन ने तो गोरैया ही नहीं सभी प्रजाति के पक्षियों  के जीवन को संकट में डाल दिया है ।गौरैया खेतों में भी बहुत झुंड के झुंड देखी जाती थी अब वहां से भी कहीं दूर चली गई है आखिर ऐसा क्या हुआ…….. किसानों ने अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए न जाने कितने रसायन और  विषाक्त दवाइयां खेतों में छिड़कना शुरू कर दिया। वे जो कीट पतंगे खाकर के किसानों की मित्र थी और हमारे मानव जीवन के लिए जो हानिकारक कीट पतंगे हैं उनका भोजन वही था वहां से वह भी खत्म हो गया है अब खेतों से भी वे दूर चली गई है उनका अस्तित्व आज संकट में है ऐसे मित्र पक्षियों को बचाने के लिए फिर से गौरैया को बुलाने के लिए 20 मार्च को गौरैया दिवस उनके संरक्षण के लिए मनाने की शुरुआत हुई।

आज सार्थक सोशल वेलफेयर सोसाइटी एवं वन विभाग की टीम के द्वारा इस दिशा में नई पीढ़ी को जागरूक करने के लिए एक  बड़ा कदम उठाया डेढ़ सौ छात्रों के साथ ग्राम गुर्जर बरडया के सीएम राइस स्कूल में उनके साथ वर्कशॉप की गई जिसमें गौरैया को फिर से बसाने के लिए घोंसला कैसे बनाते हैं यह दिखाया गया किस तरह से गौरैया हमारे मित्र पक्षी हैं उसकी पूरी डॉक्युमेंट्री फिल्म डॉ सौरभ सिंह तोमर द्वारा दिखाई गई। जिस देश ने गौरैया को मार डाला उनका क्या परिणाम हुआ वह किस तरह अकाल ग्रस्त हुए उसकी कहानी छात्रों को सुनाई गई। साथ ही गर्मियों की छुट्टियों के लिए उन्हें घोंसला बनाने घोंसला लगाने का प्रशिक्षण दिया गया।
सार्थक संस्था की ओर से सभी डेढ़ सौ छात्रों को  बर्ड फीडर बांटे गए। जिससे  उसमें दाना रख सकें। एक मुट्ठी दाना ,पानी और  घोंसला हर  बच्चे ने संकल्प लिया। कार्यशाला में छात्रों को इको ब्रिक बनाना भी सिखाया गया जिससे वातावरण में इधर-उधर उड़ती प्लास्टिक की थैलियां और प्लास्टिक के कचरे से गांव मुक्त हो सके एक ब्रेक का कहां और कैसे इस्तेमाल करना है यह भी का वर्कशॉप में बताया गया ।  छात्रों से बहुत से प्रश्न पूछे गए बहुत उत्साह पूर्वक छात्रों ने सही उत्तर दिए। वन विभाग से उपस्थित श्री सिसोदिया जी द्वारा विस्तार से पशु पक्षियों के संरक्षण उनके बदलते व्यवहार के बारे में बताया गया किस तरह से वह हमारे लिए उपयोगी हैं कैसे वे जंगल  उगने में अप्रत्यक्ष रूप से हमारी मदद करते हैं इसको बहुत ही सरल शब्दों में छात्रों को समझाया ।इस अवसर पर सार्थक सोशल वेलफेयर सोसाइटी की डॉक्टर वीणा सिंह डॉक्टर सौरभ तोमर, डॉ विनीता कुलश्रेष्ठ, श्रीमती रचना दोषी, श्रीमती अंजू भावसार, श्री विष्णु  पाटीदार, श्री नरेंद्र त्रिवेदी अंबिका सिंह आद्धया सिंह,श्री अर्पित सेन हिमांशु पांडे विक्रम सिंह,  उपस्थित थे। संस्था के प्राचार्य श्री राजेश मिश्रा, एवं समस्त स्टाफ वन विभाग से श्री रघुराज सिंह सिसोदिया  डिप्टी रेंजर एवं उनके सहयोगी कारू सिंह चौहान वनरक्षक उपस्थित थे।

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