प्रदेश

मैंने जो देखा- एक सरल व्यक्तित्व किंतु एक कठिन प्रश्न है मुख्यमंत्री  श्री मोहन यादव “ठंडा खाते हैं और आग उगलते हैं”

रमेशचन्द्र चन्द्रे

           मंदसौर १२ दिसंबर ;अभी तक;   दौड़ प्रतियोगिता में प्रतिभागी ना होकर भी प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे श्री मोहन यादव ऊपर से जितने सरल दिखते हैं, उतने हैं नहीं, वो ऐसे कठिन प्रश्न है जिनका हल या तो वह स्वयं जानते हैं या फिर संगठन के प्रमुख लोग।
छात्र जीवन से ही  विद्यार्थी परिषद के माध्यम से एक दबंग छात्र नेता के रूप में आप स्थापित रहे हैं। बड़े-बड़े गुंडे बदमाशों का इलाज वे विद्यार्थी जीवन से ही करते आ रहे हैं।
बीएससी एम. ए.एमबीए,एल एल बी, एवं दर्शनशास्त्र से पीएचडी करने वाले डॉक्टर मोहन यादव एक विद्वान वक्ता हैं, तथा अपने विषय को ठीक ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता रखते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छत्रछाया में अपने आप को विकसित करने वाले खुद, कभी भी संघ की छाया से बाहर नहीं आए और यही इनके विकास और सुरक्षा का कारण है। जिस पावर हाउस से यह एनर्जी प्राप्त करते हैं, वही इनकी सफलता का राज है।
2013 से लेकर आज तक विधायक तथा उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में, मध्य प्रदेश के कॉलेजिएट एजुकेशन के  बड़े-बड़े विद्वान, धुरंधर प्राध्यापक एवं अनेक आईएएस ऑफिसर उनकी प्रशासनिक क्षमता का मूल्यांकन कर चुके हैं। चेहरे से भोले भाले, सदैव मुस्कान लिए, सहज और सरलता से मिलने वाले श्री यादव जब अपने प्रशासनिक रूप में आते हैं उस समय उनके तेवर देखने योग्य होते हैं।
विद्यार्थी जीवन से लेकर राजनीतिक जीवन तक एक निष्कलंक चरित्र तथा अपने करियर को साफ सुथरा रखने वाले- “चदरिया ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं”
की पद्धति पर अपने जीवन के संकल्पों को पूरा करने वाले अत्यंत ही अनुशासित, सिद्धांतवादी, प्रामाणिक, कुशल राजनीतिक योद्धा श्री मोहन यादव निश्चित रूप से मध्य प्रदेश की राजनीति में और प्रशासनिक व्यवस्थाओं में एक नया परिवर्तन लाएंगे यह अपेक्षा है।
एक सरल व्यक्तित्व किंतु एक कठिन प्रश्न जिसका हल या तो वे स्वयं जानते हैं या फिर संगठन के कुछ लोग?
मुख्यमंत्री बनने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई।
 रमेशचन्द्र चन्द्रे, मंदसौर

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