प्रदेश

नवागत कलेक्टर ने जनसुनवाई को बनाया पारिवारिक सुनवाई, शिकायतकर्ता को परिवार की तरह बैठा कर उसकी समस्याओं को सुना

सुनील गौतम
दमोह १८ अप्रैल ;अभी तक; कहते हैं कि जब सरकार बदलती है तो कुछ ना कुछ परिवर्तन होता है। मौसम बदलता है तो परिवर्तन होता है। ऐसा ही कुछ दमोह में हुआ कि कलेक्टर बदलने पर नवागत कलेक्टर ने अपनी कार्यप्रणाली को दिखाने की एक नई शुरुआत कर दी और उन्होंने इस बात की शुरुआत उस वर्ग से की है जो अपनी समस्याओं को लेकर प्रताड़ित रहता है और उनके द्वारा इसका क्रम जनसुनवाई से किया गया। उन्होंने जनसुनवाई को इस तरीके से प्रारंभ कराया जिस प्रकार से कोई व्यक्ति अपनी समस्या को अपने परिवार के मुखिया को सुनाते हुए उसके निराकरण करने या निराकरण कराने के लिए प्रयास करता है। यानी जनसुनवाई को उन्होंने परिवार की भांति परिवार की सुनवाई के रूप में प्रस्तुत करते हुए लोगों की बातों को सुना।
                              कुछ ऐसा ही नवागत कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने जनसुनवाई में आने वाले प्रत्येक नागरिक की समस्या को जहां अपने बाजू में कुर्सी पर बैठा कर उसकी समस्या को गंभीरता से सुना एवं तत्काल ही उसके निराकरण के निर्देश दिए। वही इस जनसुनवाई में जहां सभी अधिकारियों को उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे। जिसका परिणाम यह हुआ कि बैठक हाल में जन सुनवाई के लिए आने वाले नागरिकों को परेशान नहीं होना पड़ा।
 प्रत्येक अधिकारी के सामने रखी गई कुर्सी
                          कलेक्टर द्वारा मीटिंग हॉल में जो बैठक व्यवस्था निर्धारित की गई थी। वह इस प्रकार निर्धारित की गई कि प्रत्येक विभाग के अधिकारी के सामने खाली कुर्सियां रखी गई और जिस विभाग से संबंधित शिकायत होती थी। शिकायतकर्ता उस विभाग के अधिकारी के सामने कुर्सी पर जाकर बैठ कर अपनी समस्या सुनाता था और अधिकारी उस समस्या का निराकरण तत्काल ही स्वयं या अपने अधीनस्थों को मोबाइल के माध्यम से निर्देश देकर हल कराने का प्रयास करता था। इससे शिकायतकर्ता को जहां आराम से बैठकर अपनी शिकायत सुनाने का अवसर मिलता था। वही उसकी समस्या को अधिकारी भी गंभीरता के साथ सुनते थे। इस व्यवस्था के लिए बाकायदा सभी विभागों की पर्चियां भी दीवाल पर लगाई गई थी जिससे व्यक्ति को संबंधित विभाग के अधिकारी के पास पहुंचने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो।
 समस्या हल ना होने पर कलेक्टर सुनते थे शिकायत
 वही जब शिकायतकर्ता संबंधित अधिकारी से अपनी समस्या के निराकरण से संतुष्ट नहीं हो पाता था तो अधिकारी उसे स्वयं या शिकायतकर्ता स्वयं कलेक्टर  के पास पहुंचता था और वह अपनी शिकायत को बताते हुए इस बात से भी अवगत कराता था कि संबंधित अधिकारी की द्वारा किए गए निराकरण से वह संतुष्ट नहीं है। जिस पर कलेक्टर स्वयं उसे अपनी कुर्सी के पास बैठा कर उसकी समस्या को सुनते थे और फिर उसके हल करने के निर्देश देते थे ।यदि समस्या तत्काल निराकरण नहीं होने की थी तो उसे 7 दिन के अंदर किसी किन्हीं भी परिस्थितियों में निराकृत करने के निर्देश कलेक्टर द्वारा दिए गए।
पहला अवसर की सभी अधिकारी मौजूद
इसके पूर्व नईदुनिया द्वारा एक खबर प्रकाशित की गई थी जिसमें जनसुनवाई में अधिकारियों की अनुपस्थिति और लिपिक और कंप्यूटर ऑपरेटरों को भेजकर औपचारिकता निभाई जा रही थी। लेकिन नवागत कलेक्टर द्वारा जिस प्रकार से अधिकारियों को स्वयं उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे। उसका परिणाम यह हुआ कि लगभग सभी विभागों के अधिकारी जनसुनवाई में मौजूद थे और पूरे समय अधिकारी मौजूद रहे। जिससे शिकायतकर्ता या पीड़ित व्यक्ति के लगातार परेशान होने और बार-बार जनसुनवाई में आने से भी उससे मुक्ति मिलेगी। क्योंकि इस व्यवस्था से जहां उसकी शिकायत को कलेक्टर द्वारा संबंधित अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत रूप से सुनकर उसके निराकरण का प्रयास किया गया।
सभी शिकायतों को किया जाएगा सूचीबद्ध
जिस प्रकार से शिकायतकर्ता की शिकायत का संबंधित विभाग के अधिकारी द्वारा निराकरण या उसकी समस्या के समाधान के प्रयास किए गए। उसके उपरांत उन समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि जो भी शिकायतें आपके विभाग से संबंधित आपके पास पहुंची हैं। उन्हें यथावत जनसुनवाई शाखा में ही रख कर अधिकारी जाएंगे जिससे कि उन सभी शिकायतों का पंजीयन हो सके एवं उस पर की गई कार्यवाही से संबंधित शिकायत कर्ता या पीड़ित को अवगत कराया जा सके।
 इसके बाद भी अनेक अधिकारी रहे गायब
कलेक्टर के निर्देश के बाद भी अनेक विभागों के अधिकारी व कर्मचारी इस जनसुनवाई से जहां गायब रहे। वहीं उन विभागों की शिकायत आने पर कलेक्टर द्वारा तत्काल ही संबंधित विभाग के अधिकारी को कार्यालय में बुलाकर उपस्थिति के निर्देश दिए और संबंधित शिकायतकर्ता की समस्या से उन्हें अवगत कराते हुए निराकरण के निर्देश दिए और कहा कि यदि अगली जनसुनवाई से आप लोगों की उपस्थिति नहीं होगी तो कार्यवाही की जाएगी।
 सुनवाई के पूर्व किया निरीक्षण
 कलेक्टर मयंक अग्रवाल द्वारा जनसुनवाई के पूर्व समस्त अधिकारियों के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय में मुख्य गेट से लेकर जनसुनवाई के मीटिंग हाल तक एवं दिव्यांगों के लिए आने वाले रास्ते का स्वयं निरीक्षण किया। जिससे किसी भी आने वाले शिकायतकर्ता को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो।
जनसुनवाई में आए 112 आवेदन
 मंगलवार को नए तरीके से आयोजित की गई जनसुनवाई में जहां 112 आवेदकों द्वारा अपनी समस्याओं से संबंधित आवेदन प्रस्तुत किए गए। जिसमें सबसे अधिक 60 आवेदन राजस्व विभाग के प्राप्त हुए जिनमें नामांतरण, सीमांकन सहित अनेक समस्याओं से जुड़े आवेदन थे। वहीं उसके उपरांत शिक्षा विभाग के 10,पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के 10,पुलिस विभाग के 8, स्वास्थ्य विभाग के 6, नगरीय प्रशासन विभाग के 5, कृषि विभाग के 3, ऊर्जा विभाग के 2, सामाजिक न्याय विभाग के 2 तथा परिवहन, खनिज, हाउसिंग बोर्ड ,श्रम ,खाद्य एवं निर्वाचन विभाग से संबंधित एक एक आवेदन शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए। जिनमें अनेक शिकायत कर्ताओं के समस्याओं का निराकरण भी तत्काल किया गया। शेष समस्याओं के निराकरण के लिए 1 सप्ताह के अंदर उनके निराकरण के निर्देश दिए। लोकसेवा प्रबंधक चक्रेश पटेल द्वारा जन सुनवाई के लिए की जाने वाली व्यवस्था उनके पंजीयन एवं सभी प्रकार के अधिकारियों की बैठक व्यवस्था के लिए भी कलेक्टर द्वारा निर्देशित किए जाने पर व्यवस्थित रूप से नए सिरे से प्रारंभ की गई इस जनसुनवाई को कराया गया।
मंगलवार को होगी समय सीमा बैठक
 नवागत कलेक्टर मयंक अग्रवाल द्वारा अब यह निर्णय लिया गया है कि प्रति सोमवार को होने वाली समय सीमा बैठक अब मंगलवार को जनसुनवाई के उपरांत होगी। जिससे कि अधिकारियों का 2 दिन का समय खराब ना हो और आम नागरिकों को भी अपनी समस्याओं के लिए भटकना ना पड़े।
 इन अधिकारियों की रही उपस्थिति
 जन सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण रूप से जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अजय श्रीवास्तव, अपर कलेक्टर नाथूराम गौड़, एसडीएम  अविनाश रावत,गगन विशेन, अभिषेक ठाकुर,भव्या त्रिपाठी, डिप्टी कलेक्टर अदिति यादव,आर एल बागरी सहित अनेक अधिकारियों की उपस्थिति रही।
इनका कहना है
जनसुनवाई को लोक कल्याण शिविर की भांति प्रारंभ कराए जाने का प्रयास किया गया है। जिससे लोगों की समस्याओं का तत्काल ही निराकरण हो सके और उन्हें तत्काल ही राहत मिल सके। इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है और इसमें शीघ्र ही और सुधार कर आम नागरिकों की समस्याओं का तत्काल ही निराकरण कराया जाएगा। मयंक अग्रवाल
कलेक्टर दमोह
 मौके पर किया गया समस्या का हल
                           जनसुनवाई में सबसे महत्वपूर्ण बात जो रही उसमें तीन मामले काफी महत्वपूर्ण देखे गए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण जबेरा जनपद पंचायत की रश्मि अहिरवार का मामला था जिसके पति की मृत्यु वर्ष 2018 में हो गई थी लेकिन उसे संबल योजना के तहत मिलने वाली 2 लाख रुपए की राशि 5 वर्षों में भी प्राप्त नहीं हो रही थी और वह इसके लिए लगातार ही शिकायत कर रही थी। इस मामले में कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने तत्काल ही श्रम विभाग एवं जनपद पंचायत सीईओ को बुलाकर जानकारी लेते हुए निर्देशित किया कि कल बुधवार तक संबंधित महिला के खाते में राशि पहुंच जाएं और महिला से कहा कि यदि कल आपके खाते में राशि नहीं पहुंचती है तो स्वयं अपना मोबाइल नंबर देकर उसे इस बात की जानकारी के लिए कहा गया।
                             वही दूसरा मामला दमोह नगर के तीन गुल्ली निवासी पुष्पेंद्र तिवारी का है जिसके पेट में गांठ होने पर उसका दोबारा आप्रेशन हो चुका था लेकिन गांठ खराब होने के कारण पेट में कैंसर की शिकायत होने पर उसे मुंबई रेफर किया गया था। जिस कारण से उसके आर्थिक स्थिति इतनी नहीं थी कि वह आ जा सके। उसके मुंबई आने जाने के लिए तत्काल ही कलेक्टर द्वारा रेड क्रॉस सोसाइटी से 20 हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया।
                           तीसरा मामला पथरिया निवासी विकलांग पुरुषोत्तम नेमा द्वारा भी लगातार ही ट्राई साइकिल के लिए आवेदन दिए जा रहे थे लेकिन उसे ट्राईसाईकिल प्रदान नहीं की जा रही थी। कलेक्टर द्वारा उसे तत्काल ही ट्राई साइकिल प्रदान कराई गई।

Related Articles

Back to top button