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1857 की क्रान्ति के प्रथम सूत्रधार शहीदे आजम वीर माता दीन जन्म जयंती मनाई

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर एक दिसंबर ;अभी तक;  वीर मातादीन अंबेडकर सेना एवं राष्ट्रीय वाल्मिकी सेना द्वारा 1857  की क्रांति के प्रथम सूत्रधार शहीद वीर मातादीन मेहतर की जन्म जयंती भव्य रूप से शाम बाबा ओटले गांधी चौराहा पर बड़ी धूम धाम से मनाई एवं मातादीन के चित्र पर पुष्पमाला पहनाकर मिठाई बाटी।
                                        इस अवसर पर संगठन के संस्थापक विनोद खेरालिया ने कहा की  वाल्मिकी समाज का इतिहास बड़ा ही गौरव पूर्ण रहा हैं । वीर मातादीन ने देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई है। हमंे उनकी कुर्बानी और उनकी गाथा को कभी नहीं भूलना चाहिए।
                                      वीर मातादीन अंबेडकर सेना के जिलाध्यक्ष थानसिंह घावरी ने वीर मातादीन जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वीर मातादीन ब्रिटिश सेना में कलकत्ता की बैरक जेल में कारतूस खाने के सुपरवाइजर के एक पद पर नियुक्त थे वे कुश्ती के शौकीन थे और उन्होंने कुश्ती में रुस्तमे हिंद का खिताब भी मिला है । मंगल पांडे भी उसी ब्रिटिश सेना में थे। मातादीन और मंगल पाण्डे के बीच दंगल होता है तो मस्तादिन कुछ ही मिनट में मंगल पाण्डे को शिकस्त दे देते है इससे प्रभावित होकर मंगल पांडे और मस्तादीन की दोस्ती हो जाती है। इसी प्रकार एक अंग्रेज अधिकारी को भी कुछ ही सेकंड में हरा देते हैं लेकिन अंग्रेज अधिकारी को ये बात अपमानजनक लगती है और वो मातादीन का अपमान कर जाति सूचक शब्द से तिरस्कार करता है ये बात सभी सैनिकों और मंगल पाण्डे को पता चलती है की मातादिन एक मेहतर जाती के है वे सभी उनसे नफरत करने लगते है लेकिन मातादीन ने मन ही मन कसम खाई की इन अंग्रेजो को जड़ से उखाड़ फेकेंगे, इसके लिए उन्होंने योजना बनाई । मातादीन ने मंगल पांडे के पानी के लोटे को छू लिया था जिस कारण मगल पाण्डे भड़क गए और कहा कि तुम निम्न जाति के हो और उनका अपमान करते है तब मातादीन बोलते की तुम जो बंदूक मे जो मुंह से छिलके कारतूस भरते हो वो गाय और सुवर की चर्बी से बना होता है तब तुम्हारा धर्म कहा जाता है यह सच्चाई सब सैनिक जान जाते है और सैनिक विद्रोह कर देते हैं तब ब्रिटिश सेना दोनो को पकड़ लेती है और सबसे पहले मातादीन मेहतर को फांसी होती है और फिर मंगल पाण्डे को फांसी होती है। आज भी बैरक जेल में मातादीन बनाम ब्रिटिश सेना का केस दर्ज हैं। इसी क्रम में संगठन के सभी पदाधिकारियों ने मातादीन के बारे बताया ।
                                              सकल वाल्मिकी समाज के अध्यक्ष राजाराम तंवर, पटेल मुकेश चनाल , महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जीवन घोसर, राष्ट्रीय वाल्मिकी सेना जिलाध्यक्ष दीपक दलौर, भीम आर्मी प्रदेश कार्य करणी सदस्य पवन रैदास, प्रकाश तंवर, संगठन के संरक्षक चेतनदास गनछेड़, जगदीश कोडावत, पवन दलोर, मंगल कोटियाने ने भी  अपने विचार रखे । इस अवसर पर प्रकाश कल्याणे, भूपेश घारू, जिला उपाध्यक्ष मनोहर फतरोड, कोषाध्यक्ष अजय चनाल,सचिव विनोद छपरी, भेरुलाल बारवासिया, दिलीप बागड़िया, शक्ति डागर, शेलू डागर, मुकेश राठौड़, ललित कोदली, लखन ऊंटवाल आदि सदस्य उपस्थित थे संचालन सतीश खेरालिया ने किया और आभार मनोहर फतरोड़ ने माना।

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