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सार्वजनिक जीवन में दुष्ट प्रकृति के व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिए

महावीर अग्रवाल
       मन्दसौर  १८ अक्टूबर ;अभी तक;   गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है कि, दुष्ट प्रकृति के लोगों की यह रीति है कि, वह उदासीन, शत्रु अथवा मित्र किसी का भी हित सुनकर जलते हैं और अपने कर्म और वचन से उनका जितना भी नुकसान हो सके, वह करने से वे कभी नहीं चूकते , जैसे कौवों को बड़े ही प्रेम से पालो और स्वादिष्ट भोजन कराओ, परंतु वह क्या! कभी मांस के त्यागी हो सकते हैं?
                         उक्त विचार प्रमुख शिक्षाविद श्री रमेशचंद्र चन्द्रे ने कही । उन्होंने कहा कि  दुष्ट प्रकृति के व्यक्ति बिना प्रयोजन के ही, अपना हित करने वालों के भी प्रतिकूल आचरण करते हैं, दूसरों के हितों की हानि ही जिनकी दृष्टि में लाभ है, जिनको दूसरों के उजड़ने में हर्ष होता है और उनके बसनें में दुख होता है। यह लोग धरती पर यहां- वहां घूमते हुए “धूमकेतु” अर्थात पुचछल तारे के समान है, जो सबके हितों का नाश करने के लिए ही जन्म लेते हैं। इस प्रकार के प्रकृति के लोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने के चक्कर में स्वयं का भी विनाश कर लेते हैं जैसे आकाश से गिरने वाले ओले, खेती को नष्ट कर देते हैं और स्वयं भी नष्ट हो जाते हैं और इसी तरह मक्खीयां घी में गिरकर घी भी खराब करती है और स्वयं भी मर जाती है।
                             यद्यपि भले- बुरे सभी ब्रह्मा के पैदा किए हुए हैं परंतु गुण- दोष के आधार पर शास्त्रों ने और समाज ने उनका अलग वर्गीकरण किया है।  इनके लिए लिखा गया है कि, जैसे हवा की संगत के कारण, पृथ्वी की धूल भी  आकाश की ऊंचाइयों पर चली जाती है,  किंतु पानी के संपर्क में आते ही वह  कीचड़ में बदल जाती है।      इसी प्रकार कुसंग के  कारण एक धुआं कालिख कहलाता है और वही धुआं जल,अग्नि और पवन के संग से बादल होकर जगत् को जीवन देने वाला भी बन जाता है।
                      इस प्रकार पृथ्वी पर अनेक ठग, सुंदर वेश धारण करके संसार को भ्रमित कर रहे हैं जैसे- साधु वेश में कालनेमि, रावण और राहु ने ठगने के प्रयोग किए थे।
                              श्री चन्द्रे ने कहा कि इसलिए जीवन में नकारात्मक सोच एवं दुर्गुणी और स्वार्थी व्यक्ति को अपने निकट नहीं आने देना चाहिए, भले ही वह सुंदर वेशधारी क्यों ना हो, अन्यथा बार-बार उनके संपर्क में आने के कारण आप में उपलब्ध सद्गुण भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे और आपको इसका पता भी नहीं चलेगा।
                                खासकर राजनीति और सामाजिक जीवन में काम करते समय, उक्त प्रकार के दुष्ट प्रकृति के लोगों से हमेशा सावधान रहना चाहिए अन्यथा ऐसे लोगों की चांडाल चौकड़ी आपके करियर को बर्बाद कर सकती है।

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