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विद्युतीकरण के बाद अब भी मन्दसौर की आबादी के हिसाब से सुविधाए मिल रही है कम 

महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १६ जून ;अभी तक;  मन्दसौर का रेलवे स्टेशन पश्चिमी रेलवे का म.प्र.के जिला मुख्यालय का एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है।रेलवे के इस ट्रैक के विद्युतीकरण के बाद भी कुछ गाडियों में डीजल इंजन लगे हुए देखे जा सकते है। जो डीजल का खर्च और प्रदूषण की बात कर रहे थे क्या उनकी नजर में यह सब कुछ ठीक है। स्टेशन के बाहर डामर की बनी घटिया सड़क ने कुछ ही सालों में दमतोड़ दिया। डामर की सड़क से गिट्टी बाहर निकल आई है। यह सड़क तो फिर से बनाई ही जाना चाहिए लेकिन इस सड़क की जांच भी की जाकर ठोस कदम उठाए जाना चाहिए। पश्चिमी रेलवे में रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को मिल रही खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की समय समय पर जांच के अभाव में यात्रियों को जो सामग्री मिल रही है उसी पर संतोष करना पड़ रहा है भले ही वह सामग्री लेने के बाद यात्रियों को फेकने पर मजबूर होना पड़े।
                                     142 वर्षों के रेलवे के इतिहास में जो दर्शन मीटर गेज रेलवे लाइन के समय थे लगभग उनमें छोटी-मोटी व्यवस्था परिवर्तन के बाद वही बने हुए हैं। रतलाम नीमच रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण के बाद भी बड़ी रेल लाइन के इस मंदसौर स्टेशन से होकर अभी कुछ यात्री गाड़ियां डीजल इंजन से चल रही है रेलवे की तरक्की में एक कदम आगे बढ़ने के बाद रेलवे फिर से एक कदम पीछे हटता है तो इसे 21वीं सदी का विकास कहां जाएगा या 19वीं बीसवीं सदी का वही 9 दिन चले अढ़ाई कोस फिर भी दिल्ली बारह कोस वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। इलेक्ट्रिक इंजन के बाद अभी भी मंदसौर की आबादी और रेलवे को मिलने वाले राजस्व के हिसाब से मंदसौर स्टेशन पर सुविधाएं बहुत कम ही है ।रतलाम नीमच रेलवे लाइन का 8 मार्च 2020 को विद्युतीकरण के बाद पहली रेलगाड़ी रेलवे ने विद्युत के इंजन को लगाकर चला कर सफलतापूर्वक बता भी दी। अभी भी इलेक्ट्रिक इंजन से गाड़ियां चल रही है लेकिन विद्युत की रेल लाइन पर जब डीजल इंजन गाड़ियों को खींचकर ले जाते हुए देखे जाते हैं तो यह 21वीं सदी का आधुनिक युग के मुंह पर तमाचा नहीं है तो और क्या है।
                                      मंदसौर स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 1 व 2 की लंबाई लगभग 800 मीटर अभी वर्तमान में है नेट फॉर्म नंबर दो पर बड़ी रेल लाइन के दोहरीकरण का काम चल रहा है लेकिन प्लेटफार्म नंबर एक पर यदि आप देखेंगे तो पता चलता है कि इतने लंबे प्लेटफार्म पर मात्र एक ही टॉयलेट है जो कैसे कहा जा सकता है कि पर्याप्त है यात्रियों को कैसे परेशानी उठाना पढ़ती है वह जाने दो एक चैनल उपलब्ध है उसमें भी कई बार गंदगी भरी पड़ी रहती है रेलवे द्वारा सफाई की उचित व्यवस्था नहीं है और ना ही इसमें पानी की व्यवस्था ठीक से संचालित हो रही है इस स्टाइलेट के पीछे यात्री प्रतिक्षालय के पास सार्वजनिक टॉयलेट है लेकिन रेलवे ने अपने इतिहास में पहली बार इसे पैसे दो और उपयोग करो की नीति के तहत कर दिया है इससे यात्री खासे परेशान हैं अब एक नंबर प्लेटफार्म व यात्री प्रतीक्षालय के टॉयलेट की दीवार एक होने से प्लेटफार्म के टॉयलेट में अव्यवस्था पश्चिमी रहती है तो कैसे और क्यों क्योंकि। क्यों रेलवे ध्यान नहीं दे सकता है यह रेलवे की बदनामी नहीं तो और क्या है।
                                   एक नंबर प्लेटफार्म पर पीने के पानी के नल लगा रखे लेकिन यह ट्रेनों के आवागमन के समय ही चलते हैं प्लेटफार्म पर जाती गाड़ी की प्रतीक्षा में जो यात्री बैठे रहते हैं उनको पानी की जरूरत पड़ती है तो वह क्या करते होंगे या यह रेलवे ही बता सकता है प्लेटफार्म पर जो फसी लगा रखी है वह भी इतनी घटिया किस्म की लगा रखी है कि उनमें से कई फ़र्शिया टूट गई है। लेकिन बेलवा बेपरवाह बना हुआ है इस एक नंबर प्लेटफार्म पर दो जगह ऐसी है कि कहीं प्लेटफार्म नीचे तो कुछ जगह ऊपर बना हुआ है इससे यात्रियों को गिरने का भी भय बना रहता है रेलवे ने इतनी बड़ी गलती कैसे और क्यों कर रखी है यह वही जाने।
                                    एक नंबर प्लेटफार्म पर ही यात्री गाड़ियों में माल लदान की व्यवस्था है लंबी दूरी की इन यात्री गाड़ियों में यहां से मछलियां आइस पैक बक्सों में बाहर भेजी जाती है। इन बक्सों से भरी हुई मछलियों का पानी प्लेटफार्म पर बहकर निकलता है जिसकी दुर्गंध के कारण यात्री नाक पर कपड़ा,रुमाल, साड़ी या दुपट्टा रखकर निकलना पड़ता है।मछलियों के ये बक्से प्लेटफार्म के अंतिम छोर पर रखा जाना चाहिए जिससे यात्रियों को मछलियों की दुर्गंध से बचाया जा सके।अब प्रशासन ने 16 जून से मछलियों के आखेट पर प्रतिबंध लगाया है जिस पर सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
                          रेलवे ने प्लेटफार्म 1 व 2 के अंतिम छोर पर  दोनों और 22 बोर्ड मंदसौर के लगा रखे हैं लेकिन नीमच की ओर के बोर्ड पर मंदसौर की समुद्र सतह से ऊंचाई लिखी है लेकिन बाकी दोनों और लगे 3 बोर्ड पर यह नहीं लिखा है क्यों यदि इसकी आवश्यकता ही नहीं है तो क्यों लिखा गया और आवश्यकता है तो क्यों नहीं लिखा गया।
                                मंदसौर स्टेशन पर एस्केलेटर वोलिफ्ट भी लगाई जाना चाहिए अभी प्लेटफार्म नंबर दो पर बड़ी रेल लाइन के दोहरीकरण का काम चल रहा है जहां की प्लेटफार्म नंबर 3 की पर्याप्त जगह होने के बाद भी रेलवे की मनमानी से प्लेटफार्म नंबर 3 नहीं बनाया जा रहा है पेट फॉर्म नंबर दो पर एक केक पैलेस रतलाम नीमच की ओर भी बनाया जाना चाहिए पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था अभी से यात्रियों की आवश्यकता के अनुसार ध्यान में रखकर नल के कनेक्शन लगाए जाना चाहिए प्रथम नंबर दो पर अभी एक-दो जगह लाइट खराब हो रही है लेकिन रेलवे ने अभी तक अनदेखा कर रखा है।
पश्चिमी रेलवे के अनेक रेलवे स्टेशनों की बात छोड़ो और केवल रतलाम से चित्तौड़ तक के स्टेशनों पर ही जो खाद्य सामग्री मिल रही है उसकी तरफ उपभोक्ता सलाहकार समितियां की उचित देखरेख मालूम नहीं पड़ती है कई बार तो यात्रियों को ऐसी खाद्य सामग्री वह मजबूरी में खरीद तो लेते हैं किंतु वह खाने योग्य नहीं होने पर उसे उन्हें फेंकना भी पड़ता है यह स्थिति देखकर लगता है कि उपभोक्ता सलाहकार समितियां रेलवे के अधिकारियों के साथ केवल वेट कर कर अपने दायित्व की इतिश्री कर रहे हैं गर्मी का मौसम है और खाद्य सामग्रियां ताजा मिले यह रेलवे के द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए कई बार परिस्थितियां ऐसी भी बनती है कि आखिर यात्री शिकायत करने जाएं तो कहां जाएं क्योंकि यात्री ट्रेन ने गंतव्य को जाने के लिए तैयार खड़ी रहती है।
रेलवे ने प्लेटफार्म नंबर एक पर यादों के शहर से प्लेटफार्म पर अपनी यात्रा के लिए आने के लिए बाहर डामर की सड़क अभी कुछ वर्ष पूर्व बनाई तभी यह स्पष्ट लग रहा था कि घटिया सड़क का निर्माण हो रहा है पर रेलवे ने अपने गुणवत्तापूर्ण काम की यह स्थिति सामने रखी है जिससे इस सड़क का निर्माण शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। यह सड़क इतनी जीर्ण शीर्ण दिखती है कि जो बाहर से आने वाले यात्रियों के मन मे मंदसौर के प्रति क्या धारणा बनाता होगा रेलवे को समझना होगा। रेलवे को चाहिए कि यह डामरीकरण शीघ्र पूरा करे।

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