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जैन कुल में जन्मा व्यक्ति यदि जिनेंद्र पूजन व आराधना नहीं करता है तो उसका जीवन निष्फल है-मुनि प्रशमसागरजी

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर २२ मार्च ;अभी तक;  स्थानीय जनकुपुरा स्थित दिगंबर जैन महावीर जिनालय में अजमेरा परिवार द्वारा कराए जा रहे 10 दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान महोत्सव के छठे दिन पूज्य मुनि श्री प्रशमसागरजी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिनेंद्र देव की देशना अंतःकरण को पावन करने वाली होती है। धर्म के प्रति दृढ़ता व आस्था आवश्यक है। अपने पूर्व उपार्जित कर्मों ने तीर्थंकरों को भी नहीं छोड़ा तो हम किस खेत की मूली है, हम तो बहुत मामूली है। कर्म तो साधु व श्रावक दोनों के समान रूप में उदय में आते हैं। जैन कुल में जन्मा व्यक्ति यदि जिनेंद्र प्रभु की पूजन, आराधना व भक्ति नहीं करता तो उसका जीवन निष्फल है। आपने कहा प्रगतिशील बनने के लिए मनुष्य को दृढ़ संकल्प शक्ति व निःस्पृह शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
                                      मुनि श्री साध्यसागरजी ने अपने प्रवचन में कहा कि देव शास्त्र गुरु का सानिध्य व समागम अत्यंत दुर्लभ है। भगवान के चरणों में मिथ्यात्व समर्पित करने से जीवन की पवित्रता प्रारंभ हो जाती है। उन्होंने कहा कई सौ वर्षाे पूर्व तक दिगंबर मुनियों के दर्शन होते थे। बीच के काल में मुनि परंपरा समाप्त प्रायः हो गई थी परंतु लगभग 90 वर्ष पूर्व युग के प्रथम दिगम्बर आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज ने दिगंबर मुनियों की परंपरा को पुनः जीवित किया तभी से आज सैकड़ो दिगंबर मुनि भारतवर्ष में विचरण कर रहे हैं। मुनिश्री ने कहा मंदसौर के कुछ दिगंबर जिनालय अत्यंत प्राचीन व अतिशयकारी है, मुगल शासकों के आक्रमण के समय श्रावकों ने अपनी जान पर खेल कर प्रतिमाओं का संरक्षण किया।
                                 विधान महोत्सव में विधानाचार्य पं. श्री अरविंद जैन ने पूजन के गुढ़ अर्थों को समझाया। मंगलाचरण मुनि शीलसागरजी ने किया। शांतिधारा का सौभाग्य श्री जयप्रकाश बाकलीवाल किशनगढ़, नेमीचंद सोनी भीलवाड़ा व निर्मलकुमार झांझरी मंदसौर को प्राप्त हुआ। गुरु भक्ति श्रीमती अर्चना बाकलीवाल किशनगढ़ द्वारा की गई।  पाद प्रक्षालन डॉ. राजकुमार बाकलीवाल, डॉ. वीरेंद्र गांधी व अभय अजमेरा ने किये। शास्त्र भेंट श्रीमती लता बाकलीवाल व सुनीता अजमेरा द्वारा किए गए।
                                   डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया विधान के छठवें दिवस प्रातः 6.45 बजे प्रारंभ हुई महोत्सव की क्रियाएं दोपहर 12.30 बजे संपन्न हुई। विधान के छठे दिन 256 अर्घ्य भगवान को समर्पित किए गए। मुनि संघ की आहारचर्या कालाखेत में श्री सागरमल प्रदीप कुमार दोषी व श्री राजेंद्र कुमार चिनमय कियावत के निवास पर संपन्न हुई। आपने बताया कि प्रतिदिन प्रातः 9 से 10 बजे तक मुनिसंघ के प्रवचन का लाभ समाज को मिल रहा है।  प्रतिदिन रात्रि 7 से 10.30 बजे तक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

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